डॉलर इंडेक्स में लंबी गिरावट के बाद गुरुवार को एशियाई सेशन में सुधार देखने को मिला। इस लंबे समय सीमा के मध्यनजर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इंडेक्स में पिछले सोमवार, 25 मई से लगातार गिरावट आ रही है। इसीलिए अभी के स्थिति को एक सुधार के रूप में देखा जा सकता है। डॉलर बुल्स के पास रैली करने का कोई कारण नही है- डॉलर न्यूज़ बैकग्राउंड के अनुसार हीं काम करता है, और यह बुधवार की शाम को इसके लिये और भी ज्यादा अनुकूल हो गया। हालाँकि, दिये गये मूलभूत फैक्टर्स के अनुसार टर्निंग पॉइंट के बारे में बात करना अभी के लिये जल्दबाजी होगी।
पिछले 8 घंटे में डॉलर इंडेक्स 97.21 से बढ़कर 97.48 तक पहुंच चुका है। यह काफी संदिग्ध "उपलब्धि" है लेकिन यहाँ पर गतिशीलता और टेंडेंसी ज्यादा महत्वपूर्ण है, अमेरिका में चल रहे दंगे और विरोध प्रदर्शन के कारण डॉलर में गिरावट नज़र आ रही है। देश मे कोरोनावायरस के दूसरे लहर की आशंका और विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सैन्य बल के प्रयोग को लेकर इन्वेस्टर्स आशंकित हैं। इस मामले के कारण डॉलर एक प्रोटेक्टिव टूल की तरह काम नही कर सका जो हो रही घटनाओं से साफ जाहिर होता है। इसीलिए, उन्होंने धीरे धीरे डॉलर को छोड़ना शुरू कर दिया, विशेष रूप से दुनिया के प्रमुख देशों में क्वारंटाइन के उपयोग का रिस्क एपेटाइट मुख्य कारण था।
लेकिन अमेरिकी डॉलर की मांग में फिर से तेजी आने लगी है। यह अमेरिका में हो रही घटनाओं से और बढ़ गया। खासकर, अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी मार्क एसपर ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए सेना को आकर्षित करने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प के इरादों का अप्रत्याशित रूप से विरोध किया। एसपर कार्यालय में पिछले साल जुलाई से कार्यरत हैं और इन्हें वाइट हाउस के मुखिया का "प्रोटेजी" माना जाता है। इसीलिए, उनकी तरफ से ऐसा बयान अप्रत्याशित माना जाता है, और मार्केट की प्रतिक्रिया को देखें तो ट्रेडर्स ने भी ऐसा माना है। पेंटागन के मुखिया ने साफ साफ कहा कि सैन्य बल का प्रयोग "केवल एक अंतिम उपाय के रूप में और केवल सबसे जरूरी और कठिन परिस्थितियों में किया जाना चाहिए।" और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका अभी ऐसी परिस्थिति में नही है।
लेकिन इस मुद्दे के बारे में गहराई से जानना आवश्यक है। जहाँ एक तरफ विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सेना को बुलाने का निर्णय बस ट्रम्प के हाँथ में नही है: पोस कॉमिटेटस अधिनियम के अनुसार, जिसे 1878 में अपनाया गया था, सशस्त्र बल कांग्रेस की अनुमति के बिना देश के अंदर काम नहीं कर सकते। और चूँकि कई अमरीकी नेताओं (जिसमे रिपब्लिकन भी हैं) ने इसका विरोध किया है, वाइट हाउस के मुखिया ने इस रास्ते को अपनाया हीं नही। लेकिन, अमेरिका अवसरों का देश है जिसमे कानूनी खामियां भी शामिल हैं- ट्रम्प ने "लॉ ऑफ रिबेलियन" के इस्तेमाल की धमकी दी जिसे 1807 में अपनाया गया था और तब से इसे कभी भी व्यवहार में नहीं लाया गया। यह कुछ मामलों में अमेरिकी राष्ट्रपति को देश में अराजकता और विद्रोह को दबाने के लिए सैनिकों का उपयोग करने की अनुमति देता है। और यहाँ इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि रक्षा मंत्री ने इसके उपयोग का विरोध किया क्योंकि उनके मुताबिक अमेरिका में अभी विद्रोह का माहौल नही है।
इस तथ्य से डॉलर को अपने कुछ खोये हुए पोजीशन को वापस हासिल करने में मदद मिली। इसके साथ हीं, अमेरिकी-चीनी संबंध फिर से मुख्य मुद्दा बन गया जिससे ट्रेडर्स का ध्यान भटक गया। लेकिन यहां की स्थिति विवादास्पद है। एक ओर, व्हाइट हाउस ने चार चीनी एयरलाइनों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। यहाँ चीन के कुछ प्रमुख एयरलाइनों के बारे में बात हो रही है - एयर चीन, चीन पूर्वी एयरलाइंस, चीन दक्षिणी एयरलाइंस और हैनान एयरलाइंस। वाशिंगटन का निर्णय बीजिंग की कार्रवाइयों के जवाब में है, जिसने 1 जून से अमेरिकी एयर कैरियर यूनाइटेड एयरलाइंस और डेल्टा एयर लाइन्स को चीन के लिए उड़ानें फिर से शुरू करने की अनुमति नहीं दी थी। यह प्रतिबंध 16 जून से लागू होता है, लेकिन व्हाइट हाउस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह इस मुद्दे पर PRC के साथ बातचीत के लिए तैयार है।
चीनी एयर करियर के खिलाफ एक तरफ कठिन रवैये के बावजूद ट्रम्प ने "हांगकांग मामले" में नरमी दिखाई है। हम आपको याद दिला दें कि व्हाइट हाउस के मुखिया ने पिछले शुक्रवार को चीन और हांगकांग प्रशासन के खिलाफ प्रतिबंधों की एक सूची की घोषणा की थी, यह चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ लाया गया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका उन सभी ट्रेड के विशेषाधिकारों को समाप्त कर देगा जो हांगकांग को चीन के भीतर स्वायत्तता के रूप में मिले थे। दूसरी बात यह की अमेरिका PRC और हांगकांग के उन अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों को लगायेगा जो किसी भी तरह इस "क्षेत्र की स्वायत्तता को कम करने" में शामिल हैं। तीसरी बात अमरीका चीन के उन सभी छात्रों का वीसा रद्द करेगा जो "जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।" और चौथी बात, ट्रम्प ने घोषणा की थी कि "बेईमान चीनी कंपनियों की पहचान होगी और उन्हें बैन करके अमेरिकी फाइनेंसियल मार्केट की सुरक्षा को मजबूत बनाया जायेगा।"
अब पीछले शुक्रवार को हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक सप्ताह के बाद जब पत्रकारों ने अमेरिकी नेता से पूछा कि वे चीन के अधिकारियों और खासकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का इरादा क्या वाकई में रखते हैं, इसका जवाब माकूल नहीं था- ट्रम्प के अनुसार उन्होंने अभी सैंक्शन लगाने के बारे में सोचा नही है। उनका टिप्पणी वाकई में थी "मैने इसके बारे में अभी सोचा नही है"।
अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा इतनी कमजोर टिप्पणी से इस धारण को संभव किया है कि अमेरिका "हांगकांग मुद्दा" के ऊपर अपनी रवैये में काफी ज्यादा बदलाव नही करने जा रहा है। और सबसे ज्यादा जरूरी बात (अभी के मुद्रा मार्केट के संदर्भ में) यह है कि यह इस राजनीतिक संघर्ष को आर्थिक संघर्ष में परिवर्तित नही होने देंगे। इस तथ्य से डॉलर को भी समर्थन मिला जिससे मंगलवार को एशियाई सत्र के दौरान मार्केट के पूरे स्पेक्ट्रम में इसे मजबूती मिली।
मैक्रोइकोनॉमिक रिपोर्ट से अमेरिकी करेंसी के विकास में सहायता मिली। खासकर, ADP एजेंसी की रिपोर्ट अनुमान से काफी अच्छी आयी है- जहाँ तक संभावना थी कि बेरोजगारी 9 मिलियन तक पहुंच जाएगा, वहीं उस इंडिकेटर के मुताबिक यह 2.7 मिलियन तक हीं दिखाया गया। गैर-उत्पादन क्षेत्र के लिए ISM कम्पोजिट इंडेक्स भी पोसिटिव पाया गया। इसने 45 अंको की रिकवरी की, और हालाँकि यह इंडीकेटर 50 पॉइंट के मार्क से अभी भी नीचे है लेकिन इसका ट्रेंड पोसिटिव है।
अतः, पहले की मौलिक बैकग्राउंड के कारण डॉलर के गिरावट में कमी आयी और और इसने करेक्शन भी किया जिससे मांग मे बढ़ोतरी हुई। अगर अमेरिका में हो रहे विरोध प्रदर्शन धीमे पड़ जाते हैं और वाशिंगटन चीन के खिलाफ निष्क्रिय रवैये को अपनाता है तो डॉलर को अपनी इस सप्ताह स्तिथि को मजबूत करने में मदद मिलेगी जो लेवल 98.04 का है।