फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में और कटौती की कोई आवश्यकता नहीं दिखती।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक लंबे समय से "कटौती करें या न करें" की हैमलेट जैसी दुविधा से जूझ रहा है। क्या फेड अब किसी नतीजे पर पहुंच चुका है?
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के अनुसार, ब्याज दरों में बहुत तेजी से कटौती करने से अमेरिका में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। इससे पहले, उन्होंने चेतावनी दी थी कि "अत्यधिक मौद्रिक सहजता (monetary easing) मुद्रास्फीति को कम करने की प्रगति को बाधित कर सकती है।" उन्होंने इसे बेहद अवांछनीय परिणाम बताया।
पॉवेल ने यह भी कहा कि समय पर दरों में कटौती न करने से आर्थिक गतिविधियों और रोज़गार पर अनावश्यक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी मौद्रिक नीतिगत फैसले व्यापक आर्थिक आंकड़ों, आर्थिक दृष्टिकोण और जोखिम संतुलन के आधार पर लिए जाएंगे।
2024 की अंतिम तिमाही में, फेडरल रिजर्व ने तीन दौर की मौद्रिक सहजता की घोषणा की, जिससे फेडरल फंड्स रेट 4.25%–4.5% प्रति वर्ष के दायरे में आ गया। जनवरी 2025 में, प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अमेरिकी श्रम बाजार की स्थिति मजबूत बनी हुई है, जबकि उपभोक्ता मुद्रास्फीति "थोड़ी बढ़ी हुई" है।
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी दरों में कटौती पर अपना रुख बदल लिया है। पहले, ट्रंप पॉवेल के कटौती में संकोच करने के घोर आलोचक थे। उन्होंने मौद्रिक नीति में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की वकालत की और फेड चेयरमैन को उनके फैसलों को लेकर निशाना बनाया। हालांकि, हाल ही में "ब्याज दरों में तुरंत कटौती" की अपनी मांग के बावजूद, ट्रंप ने फेड के नवीनतम फैसले को सही ठहराया है।