बीजिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ताज़ा टैरिफ की लहर की कड़ी निंदा की है और उन्हें डराने-धमकाने और आर्थिक दबाव की एक रणनीति बताया है। चीनी अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन पीछे नहीं हटेगा। इसके साथ ही, चीन ने दुनिया के बाकी देशों से भी इसी तरह का रुख अपनाने की अपील की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने प्रेस से बातचीत में वॉशिंगटन द्वारा वैश्विक आयातों पर लगाए गए समग्र टैरिफ की आलोचना करते हुए उन्हें मज़ाक और ज़बरदस्ती करार दिया। उन्होंने इन उपायों को “एकतरफावाद और संरक्षणवाद की मिसाल और आर्थिक धमकाने की नीति” बताया, जो केवल अमेरिका के हितों को साधने के लिए उठाया गया कदम है। लिन ने उन सभी देशों से एकजुट होने और अमेरिकी अनुचित व्यापार आक्रामकता का विरोध करने का आह्वान किया, जो इसी तरह की पाबंदियों का सामना कर रहे हैं।
लिन के अनुसार, इस तरह के टैरिफ का दुरुपयोग विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों को उनके विकास के अधिकार से वंचित करने का प्रयास है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह चलन जारी रहा तो अमीर और गरीब देशों के बीच की खाई और गहरी हो सकती है। इसी पृष्ठभूमि में, बीजिंग ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की सामूहिक रक्षा की मांग की है, जो संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन के ढांचे पर आधारित हो। लिन ने कहा कि देशों को परामर्श करना चाहिए, सहयोग करना चाहिए और अपने अनुभव साझा करने चाहिए। उन्होंने वॉशिंगटन की आक्रामक कार्रवाइयों के जवाब में वैश्विक समन्वय का आह्वान किया।
पिछले हफ्ते ट्रंप ने चीनी आयात पर 34% का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। सिर्फ एक दिन बाद, बीजिंग ने जवाबी कदम उठाते हुए स्पष्ट संकेत दिया कि वह कोई समझौता करने या फिर से बातचीत शुरू करने के मूड में नहीं है। चीन की तेज़ प्रतिक्रिया से वैश्विक निवेशक हिल गए, और एक व्यापक आर्थिक मंदी की आशंका फिर से उभरने लगी। इसके बाद वैश्विक शेयर बाज़ारों में गिरावट देखी गई। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों में से कोई भी पक्ष तनाव कम करने को तैयार है या नहीं।