अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिका के ट्रेड असंतुलन पर चिंता जताई है। व्हाइट हाउस के नेता का तर्क है कि भारत को अमेरिकी वस्तुओं पर आयात टैरिफ़ बहुत पहले ही घटा देना चाहिए था। क्या मोड़ है!
ट्रंप के अनुसार, भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर अपने टैरिफ़ लगभग शून्य तक कम करने की पेशकश की है। हालांकि, उनका मानना है कि यह फ़ैसला "सालों पहले" होना चाहिए था और अब "काफ़ी देर" हो चुकी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने बयान को ट्रेड असंतुलन के आँकड़ों से समर्थन दिया और कहा कि ऊँचे टैरिफ़ की वजह से अमेरिकी भारत को "बहुत कम सामान" बेचते हैं, जबकि बदले में विशाल मात्रा में आयात करते हैं।
"यह पूरी तरह से एकतरफ़ा आपदा रही है!" — ट्रंप ने अपने ख़ास अंदाज़ में ट्रुथ सोशल पर लिखा। उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की भारी ख़रीदारी की आलोचना भी दोहराई।
इससे पहले, 1 सितंबर को ट्रंप के ट्रेड और आर्थिक सलाहकार पीटर नवारो ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से दोस्ती पर चिंता जताई थी। यह टिप्पणी उस समय आई जब ये नेता शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित हुए थे।
मीडिया रिपोर्टों में पहले यह भी कहा गया था कि ट्रंप ने भारत को "मृत अर्थव्यवस्था" कहकर और 25% निर्यात टैरिफ़ लगाकर "भारत को चौंका दिया" था। पत्रकारों का अनुमान था कि मोदी को शायद "अपमानित महसूस" हुआ होगा। इसके तुरंत बाद, ख़बरों के अनुसार, भारतीय प्रधानमंत्री ने व्हाइट हाउस के कई फ़ोन कॉल्स को नज़रअंदाज़ कर दिया।