क्या दुर्भाग्य है: यूरोप ने भीषण मौसम के कारण अरबों यूरो खो दिए! सूखा और बाढ़ इसके लिए जिम्मेदार हैं। नतीजतन, यूरोपीय संघ (EU) के देशों का खर्चा 43 अरब यूरो से अधिक हो गया है। यह वास्तव में निराशाजनक है।
द गार्जियन के अनुसार, यूरोप को हीटवेव, सूखा और बाढ़ के चलते अरबों यूरो का नुकसान हुआ। इन कठोर मौसम स्थितियों से हुई आर्थिक क्षति गर्मियों के दौरान 43 अरब यूरो से ऊपर पहुँच गई। प्रारंभिक अनुमान बताते हैं कि 2029 तक यह नुकसान 126 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। यह अभूतपूर्व है! सबसे ज़्यादा प्रभावित देश साइप्रस, ग्रीस, माल्टा और बुल्गारिया रहे, जिनकी GDP का लगभग 1% हिस्सा मौसम की मार से चला गया। सबसे कम नुकसान अन्य भूमध्यसागरीय देशों—स्पेन, इटली और पुर्तगाल—को हुआ। जलवायु परिवर्तन की वजह से स्पेन और पुर्तगाल में भीषण गर्मी की संभावना 40 गुना और ग्रीस व तुर्की में 10 गुना बढ़ गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, जून की “मौन लेकिन विनाशकारी हीटवेव” से 12 बड़े शहरों में मौतों की संख्या बढ़ी है। वैश्विक तापमान वृद्धि से होने वाला पर्यावरण प्रदूषण भी इसमें योगदानकारी रहा।
मैनहेम विश्वविद्यालय और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये आँकड़े अगस्त में दक्षिणी यूरोप में फैली भीषण जंगल की आग और चरम मौसमी घटनाओं के संयुक्त प्रभाव को शामिल नहीं करते। आर्थिक नुकसान का आकलन करते समय विशेषज्ञ कहते हैं कि केवल संपत्ति की बर्बादी या बीमा भुगतान ही नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष प्रभाव भी महत्वपूर्ण हैं—जैसे हीटवेव के दौरान निर्माण मजदूरों के कार्य घंटों में कमी, या बाढ़ से रेलवे क्षतिग्रस्त होने पर यात्रा समय का बढ़ना। बेल्जियम के नेशनल बैंक के अर्थशास्त्री गेरट बेयन्स के अनुसार, यदि ऐसे परिणामों को शामिल न किया जाए तो नुकसान का आकलन 30% तक कम आँका जा सकता है।