अमेरिका में नया वित्तीय वर्ष आतिशबाज़ी के जश्न से नहीं, बल्कि एक पुराने और थकाऊ शटडाउन से शुरू हुआ — जो पिछले 50 वर्षों में 22वां है।
कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) के अनुमान के अनुसार, टैक्स देने वाले नागरिक रोज़ाना लगभग $400 मिलियन का भुगतान कर रहे हैं ताकि सरकारी कर्मचारी — जिन्हें तकनीकी रूप से बिना वेतन की छुट्टी पर भेजा गया है — फंडिंग का मसला सुलझने के बाद अपनी सैलरी प्राप्त कर सकें।
करीब 7.5 लाख लोग — जो एक बड़े शहर की आबादी के बराबर हैं — बिना काम किए घर बैठे हैं, फिर भी सरकार उन्हें भुगतान कर रही है। यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर इस प्रथा के पीछे तर्क क्या है।
2018–2019 के पांच हफ्तों के शटडाउन ने एक कड़वा सबक सिखाया था: $3 बिलियन का नुकसान हमेशा के लिए हो गया, और इसका असर सब पर पड़ा — अर्थव्यवस्था पर भी और साधारण अमेरिकियों पर भी।
राष्ट्रपति ट्रंप, जिन्होंने लगातार बजट विफलता के लिए डेमोक्रेट्स को दोषी ठहराया, ने यहां तक संकेत दिया था कि वे इस शटडाउन को बड़े पैमाने पर छंटनी (layoffs) करने और “अनावश्यक कार्यक्रमों की सफाई” के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे।
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में शटडाउन कोई नई बात नहीं है — पिछले आधे शतक में ऐसे 22 शटडाउन हो चुके हैं, जिससे यह लगभग एक राष्ट्रीय परंपरा बन गई है।
जब संघीय कर्मचारियों को उनकी भारी-भरकम तनख्वाहें मिलती रहती हैं, तब साधारण अमेरिकी हर डॉलर को गिन-गिनकर खर्च करते हैं — इस उम्मीद में कि यह पागलपन जल्द खत्म हो।