2030 तक ऐसा लगता है कि केंद्रीय बैंक अब पुराने भरोसेमंद धातु (सोने) को विश्वसनीयता का एकमात्र प्रतीक नहीं मानेंगे। जल्द ही, सोने की ईंटों से भरे वॉल्ट में डिजिटल फ्लैश ड्राइव भी जगह पाएंगी। डॉएचे बैंक ने आत्मविश्वास के साथ कहा है कि जल्द ही सोना और बिटकॉइन केंद्रीय बैंकों की बैलेंस शीट पर शांतिपूर्वक साथ-साथ मौजूद होंगे।
अपनी रिपोर्ट "Gold's reign, Bitcoin's rise" (सोने का शासन, बिटकॉइन का उदय) में, डॉएचे बैंक के विश्लेषक एक ऐसे दौर की भविष्यवाणी करते हैं जब अधिकारी सिर्फ सोने की ईंटों का वज़न नहीं, बल्कि प्राइवेट कीज़ (private keys) भी जांचेंगे। आखिरकार, 2025 बिटकॉइन के लिए किसी विजय यात्रा से कम नहीं रहा है — इसकी कीमत साल की शुरुआत से 50% उछलकर $125,000 तक पहुंच गई।
जैसे-जैसे डॉलर कमजोरी के संकेत दिखा रहा है, केंद्रीय बैंकों के सामने सवाल खड़ा है: “अब हमें क्या रखना चाहिए — सोना, क्रिप्टो या बस धैर्य?” डॉएचे बैंक के शब्दों में, बिटकॉइन मूल रूप से डिजिटल सोना है — जिसे किसी भौतिक खनन की आवश्यकता नहीं होती। तिजोरी की जगह अब 24 शब्दों का पासवर्ड है — जिसे कर्मचारियों के बदलते समय भूलना बेहतर नहीं होगा।
अस्थिरता और तरलता के तमाम विश्लेषणों के बाद एक बात स्पष्ट है — दुनिया अब उस दिशा में बढ़ रही है जहां सोना और बिटकॉइन मिलकर पारंपरिक अव्यवस्था के खिलाफ एकजुट होंगे। 2030 तक केंद्रीय बैंकों के संग्रह में सिर्फ सोने की ईंटें नहीं, बल्कि कुछ कोल्ड वॉलेट्स (cold wallets) भी शामिल होंगे।