जेपी मॉर्गन चेस के सीईओ जेमी डाइमोन ने एक बार फिर आर्थिक भविष्यवक्ता की भूमिका अपनाते हुए चेतावनी दी है कि अमेरिकी शेयर बाजार एक बड़े सुधार (मार्केट करेक्शन) के कगार पर है। हालांकि वे आसन्न गिरावट की उम्मीद नहीं कर रहे, लेकिन उनका मानना है कि अगले 12 से 18 महीनों में एक महत्वपूर्ण मंदी देखने को मिल सकती है। फिलहाल घबराने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन निवेशकों को आने वाली अस्थिरता के लिए तैयार रहना चाहिए।
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में डाइमोन ने कहा कि वे “दूसरों की तुलना में वॉल स्ट्रीट की स्थिति को लेकर कहीं अधिक चिंतित” हैं। उन्होंने कई ऐसे कारकों की ओर इशारा किया जो उनके अनुसार बाजार में एक बड़े तूफ़ान की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। प्रमुख जोखिमों में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, बिगड़ती राजकोषीय स्थिति और जिसे डाइमोन “वैश्विक पुनः सैन्यीकरण” (global re-militarization) कहते हैं, शामिल हैं। इन सबके साथ ऊँची ब्याज दरों का मेल एक नकारात्मक व्यापक आर्थिक (macroeconomic) तस्वीर पेश करता है।
डाइमोन ने विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में निवेश की बढ़ती लहर को लेकर चिंता जताई। उनका कहना है कि एआई में इस समय जो विशाल पूंजी निवेश हो रहा है, उसका एक बड़ा हिस्सा अंततः डूब सकता है। हालांकि वे मानते हैं कि एआई लंबे समय में सार्थक रिटर्न देगा, लेकिन उन्होंने इसकी तुलना ऑटोमोबाइल और टेलीविज़न उद्योग के शुरुआती दौर से की — ऐसी तकनीकें जिन्होंने दुनिया बदल दीं, लेकिन कई निवेशकों को खाली हाथ छोड़ दिया। उनके शब्दों में, “हर वेंचर कैपिटलिस्ट एआई का हेनरी फोर्ड नहीं बन पाएगा।”
उनकी यह चेतावनी इंग्लैंड के केंद्रीय बैंक (Bank of England) की हालिया टिप्पणी से मेल खाती है, जिसने भी एआई-केंद्रित कंपनियों के वैल्यूएशन को “संभावित रूप से अत्यधिक बढ़ा हुआ और तेज़ सुधार के प्रति संवेदनशील” बताया था।
फिलहाल, अमेरिकी शेयर वायदा (equity futures) में अनिश्चितता बनी हुई है, जबकि S&P 500 और Nasdaq लगातार नए सर्वकालिक उच्च स्तर (all-time highs) छू रहे हैं — मानो डाइमोन की चेतावनी से अप्रभावित हों।
जेपी मॉर्गन के प्रमुख ने फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर बढ़ते दबाव को लेकर भी टिप्पणी की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से फेड चेयर जेरोम पॉवेल से ब्याज दरों में कटौती की गति तेज़ करने का आग्रह किया है। इस पर डाइमोन ने कहा कि वे ट्रंप के इस आश्वासन पर “भरोसा करने को तैयार हैं” कि वे मौद्रिक नीति (monetary policy) में सीधे हस्तक्षेप नहीं करेंगे। हालांकि, उनकी संभावित बाजार गिरावट की भविष्यवाणी को देखते हुए यह दृष्टिकोण काफ़ी आशावादी कहा जा सकता है।