चीन अन्य देशों से सबक सीखता दिखाई दे रहा है, और वह इसे असाधारण परिश्रम के साथ कर रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था तीनहरी मुसीबत का सामना कर रही है: कर्ज़, मूल्यह्रास (deflation), और जनसांख्यिकीय गिरावट, जो इसकी प्रदर्शन क्षमता पर भारी दबाव डाल रही हैं। यार्डेनी रिसर्च के अनुसार, देश अभी भी निर्यात पर निर्भर है।
घरेलू रियल एस्टेट मार्केट लगातार 26 महीने से गिरावट में है — यह गंभीर संकट में फंसा हुआ है। नए मकानों की कीमतें तेजी से गिर रही हैं, घरों ने भरोसा खो दिया है, और खुदरा बिक्री (retail sales) केवल 3% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है — जैसे बहुत धीमी गति से।
पीपल्स बैंक ऑफ चाइना स्थिति को सुधारने के लिए आरक्षित आवश्यकताओं और ब्याज दरों को घटा रहा है। इसके बावजूद, उधारी (lending) तेजी से कमजोर हो रही है। बैंक ऋणों की कुल मात्रा 38 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच चुकी है, और औसत चीनी नागरिक ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह ऋण के बोझ तले सांस नहीं ले पा रहा।
सरकारी बॉन्ड्स की उपज 2% से कम है। शेयर बाजार में निराशाजनक माहौल के बीच, निवेशक कुछ क्षेत्रों में सुरक्षित निवेश की तलाश कर रहे हैं: कमोडिटी स्टॉक्स 77% और हेल्थकेयर स्टॉक्स 67% तक बढ़ गए। फिर भी, व्यापक बाजार स्थिर दिख रहा है जैसे स्थिर पानी।
घरेलू खपत को प्रोत्साहित करने के सरकार के प्रयास विफल रहे हैं। बुजुर्ग होती जनसंख्या, कमजोर मांग, और निर्यात-केंद्रित मॉडल, जो अब पुराना लग रहा है, यह दर्शाते हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था खुद को फिर से चालू करने में संघर्ष कर रही है।