बीजिंग ने अमेरिकी सरकार पर एक चौंकाने वाला आरोप लगाया है, यह दावा करते हुए कि वाशिंगटन ने लगभग 13 अरब डॉलर मूल्य का बिटकॉइन चुरा लिया। चीन के नेशनल कंप्यूटर वायरस इमरजेंसी रिस्पॉन्स सेंटर के अनुसार, यह मामला दिसंबर 2020 में किए गए एक कथित राज्य-प्रायोजित हैकिंग ऑपरेशन से जुड़ा है। इस हमले में दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग पूल में से एक LuBian से 1,27,000 बिटकॉइन चोरी होने का आरोप है।
चीनी अधिकारियों का कहना है कि घटना की प्रकृति और इसे अंजाम देने का तरीका यह दर्शाता है कि इसके पीछे किसी सरकार का हाथ है। विश्लेषकों का कहना है कि चोरी किए गए क्रिप्टो संपत्तियों की धीमी और सावधानीपूर्वक मूवमेंट आम अपराधियों के व्यवहार से बिल्कुल अलग है। इसके बजाय, यह उन तकनीकों जैसा दिखता है जो आमतौर पर खुफिया एजेंसियों द्वारा डिजिटल निशान छुपाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, चोरी किए गए LuBian बिटकॉइन बाद में उन क्रिप्टो संपत्तियों से जुड़े पाए गए जिन्हें अंततः अमेरिकी सरकार ने जब्त किया था। वाशिंगटन का दावा है कि ये टोकन प्रिंस ग्रुप (कंबोडिया) के चेयरमैन चेन ज़ी के थे। चीनी विश्लेषकों का मानना है कि इसे एक अप्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति की तरह देखा जा सकता है, जो यह संकेत देता है कि अमेरिकी अधिकारियों के पास 2020 में ही ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देने की तकनीकी क्षमता मौजूद थी।
अमेरिकी न्याय विभाग ने अब 1,27,000 बिटकॉइन को निशाना बनाते हुए एक सिविल फॉरफ़िचर कार्रवाई शुरू की है—जो अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी जब्ती कार्रवाई है। उल्लेखनीय है कि संघीय अभियोजकों ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने इन संपत्तियों पर नियंत्रण कैसे हासिल किया। चीनी रिपोर्ट ने इस घटना को एक क्लासिक “ब्लैक-ऑन-ब्लैक” ऑपरेशन बताया है, जिसे एक राज्य-संचालित हैकिंग नेटवर्क द्वारा अंजाम दिया गया।
यह आरोप वाशिंगटन और बीजिंग के बीच पहले से बढ़ते तनाव में एक नई परत जोड़ देता है—विशेषकर साइबर सुरक्षा, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और क्रिप्टोकरेंसी की भू-राजनीति के क्षेत्र में।