ब्लूमबर्ग के विश्लेषकों के अनुसार, सऊदी अरब और उसके साझेदार नवंबर 2025 में एक और उत्पादन वृद्धि (output hike) पर सहमत हो सकते हैं। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि तेल उत्पादक देश कमज़ोर दामों से घटे राजस्व की भरपाई करना और वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी फिर से हासिल करना चाहते हैं।
हाल के दिनों में तेल की कीमतों में मामूली गिरावट देखी गई है, क्योंकि चीन अपने रणनीतिक भंडार (strategic reserves) को फिर से भर रहा है, जबकि OPEC+ द्वारा पहले घोषित की गई आपूर्ति बढ़ोतरी (supply increases) अभी पूरी तरह लागू नहीं हुई है।
गठबंधन (alliance) के आठ प्रमुख सदस्य मिलकर प्रतिदिन लगभग 1,37,000 बैरल तेल उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं।
आंतरिक सूत्रों के अनुसार, सऊदी अधिकारी मानते हैं कि अधिक उत्पादन मात्रा (higher output volumes) सस्ते कच्चे तेल से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई कर देगी।
रियाद का लक्ष्य पिछले कुछ वर्षों में खोई हुई वैश्विक बाजार हिस्सेदारी को वापस पाना भी है।
HSBC Plc की वरिष्ठ वैश्विक तेल और गैस विश्लेषक किम फुस्टियर (Kim Fustier) ने कहा —
“समूह अब मार्केट शेयर रणनीति (market share strategy) अपना चुका है। हम यह नहीं मानते कि OPEC+ कोई बड़ा कदम पीछे हटाएगा, जब तक कि तेल की कीमतों में भारी गिरावट न आ जाए।”