जब वॉरेन बफ़ेट कुछ खरीदते हैं, तो बाज़ार आमतौर पर “क्यों?” नहीं पूछता, बल्कि उसे सीधे निवेश पोर्टफोलियो में जोड़ लेता है। इस बार भी कुछ अलग नहीं हुआ। बर्कशायर हैथवे ने जापानी ट्रेडिंग दिग्गज Mitsui & Co. में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 10% से अधिक कर ली है। साथ ही, बफ़ेट ने यह भी संकेत दिया है कि वे इस हिस्सेदारी को और बढ़ा सकते हैं।
बाज़ार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी — Mitsui के शेयर 2.2% उछल गए। अन्य जापानी ट्रेडिंग कंपनियों — Mitsubishi, Itochu, Marubeni और Sumitomo — के शेयर भी साथ-साथ बढ़े।
दिलचस्प बात यह है कि जापान पर बफ़ेट का दांव आज का नहीं है। 2020 में ही बर्कशायर ने जापान की पाँच सबसे बड़ी ट्रेडिंग कंपनियों में हिस्सेदारी का खुलासा किया था। ये कंपनियाँ बेहद विविधीकृत (diversified) हैं: इनके पोर्टफोलियो में प्राकृतिक गैस और खनन से लेकर दूरसंचार और यहाँ तक कि सैल्मन मछली पालन तक शामिल है।
ऐसा बिज़नेस मॉडल जापान की “sogo shosha” यानी बहु-प्रोफ़ाइल ट्रेडिंग कंपनियों की पहचान है। यही उनकी सबसे बड़ी ताक़त भी है। इतना व्यापक विविधीकरण उन्हें बाज़ार की अस्थिरता में भी कम से कम नुक़सान के साथ टिके रहने देता है। और यही सेटअप बफ़ेट को पसंद आता है: मज़बूत, स्थिर और भरोसेमंद बिज़नेस। वे भले ही “boring” लगें, लेकिन अरबों का मुनाफ़ा लाते हैं।
Mitsui ही नहीं, बर्कशायर की नज़र Mitsubishi Corporation पर भी रही। बफ़ेट ने उसमें भी हिस्सेदारी बढ़ाकर 10% से ज़्यादा कर दी है। हमेशा की तरह, बफ़ेट ने यह कदम बेहद शांति और कम शोरगुल के साथ उठाया—लेकिन जापानी बाज़ार के लिए संदेश बिल्कुल साफ़ है: अगर बफ़ेट खरीद रहे हैं, तो इसका मतलब है दीर्घकालिक भरोसा।