मॉर्गन स्टेनली को आने वाले वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के कारण बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी की कोई लहर दिखाई नहीं देती। बैंक के विश्लेषकों के अनुसार, भले ही तकनीक तेज़ी से आगे बढ़ेगी, लेकिन श्रम बाज़ार उसकी गति के नीचे नहीं ढहेगा।
बैंक ने वर्जीनिया विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री एंटन कोरिनेक के शोध का हवाला दिया है, जो परिवर्तनकारी एआई अर्थशास्त्र के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक हैं। विश्लेषक स्टीफन बर्ड के अनुसार, कई अमेरिकी डेवलपर वर्तमान में एआई मॉडलों को पहले की तुलना में लगभग दस गुना अधिक कंप्यूटिंग शक्ति पर प्रशिक्षित कर रहे हैं। यदि यह रफ़्तार जारी रही, तो 2026 तक आज की तुलना में दोगुनी बुद्धिमत्ता वाले सिस्टम देखने को मिल सकते हैं।
फिर भी, मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि यह तकनीकी छलांग रोज़गार के लिए विनाशकारी साबित नहीं होगी। अध्ययनों से पता चलता है कि हर अर्थव्यवस्था में ऐसे कार्य बने रहते हैं जिनके लिए मानव निर्णय, लचीलापन और रचनात्मकता की आवश्यकता होती है — ऐसी विशेषताएँ जिन्हें एल्गोरिद्म अभी तक दोहरा नहीं पाए हैं।
बैंक यह भी रेखांकित करता है कि ऑटोमेशन केवल श्रम की जगह नहीं लेता, बल्कि यह पूंजी वृद्धि को प्रोत्साहित करता है, उत्पादकता बढ़ाता है और अंततः वेतन में भी सुधार ला सकता है। दूसरे शब्दों में, यदि सकारात्मक परिदृश्य सच हुआ, तो एआई नौकरियाँ छीनने के बजाय कार्य परिस्थितियों को बेहतर बना सकता है।
विश्लेषकों ने तकनीकी अपनाने के दो मुख्य रास्तों की पहचान की है — ऑटोमेशन (Automation) और ऑगमेंटेशन (Augmentation)। पहले मामले में एआई मनुष्यों के स्थान पर कार्य करता है, जबकि दूसरे में वह मनुष्यों को वही कार्य बेहतर तरीके से करने में मदद करता है। कोई भी पेशा जितना अधिक ऑगमेंटेशन पर निर्भर होता है, वह तकनीकी बदलावों से उतना ही सुरक्षित रहता है।
मॉर्गन स्टेनली का निष्कर्ष है कि भले ही एआई पहले से ही अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित कर रहा है, लेकिन मशीनों के कारण व्यापक बेरोज़गारी की स्थिति अभी दूर है। फिलहाल, एआई मानव नौकरियों को नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धा की भावना को चुनौती दे रहा है।